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Cane UP: | गन्ना पर्ची यहाँ देखें | गन्ने के लिए खतरनाक कीटों का प्रबंधन

गन्ने की फसल पर कीड़ओं का खतरा

Cane UP इस समय गन्ने की फसल में कई प्रकार के कीटों और रोगों का हमला हो रहा है, जो किसानों के लिए चिंताजनक है। सितंबर के महीने में गन्ने पर रस चूसने वाले कीट और पत्ती कुतरने वाले कीट गंभीर समस्या बन सकते हैं। ये कीट न केवल पत्तियों को चबाते हैं, बल्कि पौधों से रस चूसकर उनकी सेहत को प्रभावित करते हैं। इससे पत्तियों का रंग पीला पड़ने लगता है और प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया बाधित होती है, जिससे पौधा कमजोर होकर मर सकता है।

 

विशेषज्ञों की दृष्टि

डॉ. नीलम कुरील, यूपी गन्ना शोध संस्थान की कृषि वैज्ञानिक, के अनुसार, इस दौरान मिलीबग, पत्ती कुतरने वाला टिड्डा, और आर्मी वर्म खास तौर पर गन्ने की फसल पर प्रभाव डालते हैं।

प्रमुख कीट और उनका प्रभाव:

  1. मिलीबग पौधे की गांठों पर चिपक जाता है और रस चूसता है, जिससे पौधा कमजोर हो जाता है और पत्तियाँ काली पड़ने लगती हैं।
  2. टिड्डा और आर्मी वर्म ये धीरे-धीरे पत्तियों को कुतरते हैं, पौधों को पर्याप्त पोषण नहीं मिलने के कारण वो मरने लगते हैं।

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रोकथाम के उपाय

इन कीटों से बचाव के लिए डॉ. कुरील ने कुछ महत्वपूर्ण उपाय सुझाए हैं:

1. कीटनाशकों का छिड़काव

  • क्लोरोपायरीफास 20 EC 5 लीटर क्लोरोपायरीफास को 1000 लीटर पानी में मिलाकर एक हेक्टेयर में छिड़कें।
  • रॉकेट (750 मिली) 750 मिली रॉकेट को 1000 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें।
  • इमिडाक्लोप्रिड 200 मिली इमिडाक्लोप्रिड को 1000 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें।
Cane UP
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2. कीटनाशक के पुन छिड़काव का समय

यदि पहली बार छिड़काव के बाद बारिश होती है और कीट वापस आते हैं, तो कीटनाशक का छिड़काव 20 से 25 दिन के अंतराल पर करें। गन्ने की फसल को कीटों से बचाना अत्यंत आवश्यक है। यदि समय पर इन के खिलाफ नियंत्रण नहीं किया गया, तो यह गंभीर नुकसान का कारण बन सकते हैं। उचित कीटनाशकों का उपयोग करके एवं नियमित निरीक्षण करके आप अपनी फसल को सुरक्षित रख सकते हैं।

किसान भाई हमेशा ध्यान रखें कि फसल की सेहत का ध्यान रखना और समय-समय पर उपचार करना ही आपकी फसल को बचाने और बेहतर उपज पाने का सही तरीका है।

अगर आपको कोई अन्य जानकारी चाहिए या आपके कोई सवाल हैं, तो आप विशेषज्ञों से संपर्क करें या स्थानीय कृषि विभाग से सलाह लें।

 

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