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BCML Cane UP: गन्ना फसल सूखने एवं पीलापन के कारण और बचाव के उपाय

BCML Cane UP उत्तर प्रदेश में गन्ने की फसल में तेजी से पीलापन और सूखने की समस्या बढ़ रही है, जिससे किसान चिंतित हैं। गन्ना विभाग ने इस समस्या के पीछे तीन मुख्य कारणों की पहचान की है और इसके समाधान के लिए उपाय भी सुझाए हैं। इस लेख में हम इन कारणों और बचाव के उपायों के बारे में जानेंगे।

पीलापन और सूखने के कारण

गन्ने की फसल में पीलापन और सूखने की समस्या को लेकर गन्ना विभाग ने जिन कारणों की पहचान की है, उनमें निम्नलिखित शामिल हैं

उकठा रोग

  • यह रोग गन्ने की फसल में पीलेपन के शुरुआती लक्षण के रूप में पहचाना गया है। इसे नियंत्रित करने के उपाय जल्द से जल्द करने की आवश्यकता है।

कीटों का प्रभाव

  • जड़ छेदक और मिलीबग कीट का प्रकोप भी गन्ने की फसल के पीले पड़ने का कारण बनता है। जड़ छेदक कीड़े गन्ने की जड़ों और तने को नुकसान पहुंचाते हैं, जिससे फसल पीली पड़कर सूख जाती है।

जलवायु संबंधित कारक

  • सामान्य से कम वर्षा, कम आर्द्रता, मिट्टी में नमी की कमी और अधिक तापमान जैसे कारक भी इस रोग का कारण बनते हैं।

पीलापन के लक्षण

गन्ने की फसल में पीलापन के प्रमुख लक्षण निम्नलिखित हैं:

  • पौधों का पीला होना और सूखना।
  • गन्ने का अंदरूनी हिस्सा खोखला होना।
  • गन्ने पर भूरे धब्बों का आना और दुर्गंध आना।

उपचार एवं रोकथाम के उपाय

गन्ना विकास विभाग ने किसानों को कुछ सुझाव दिए हैं, जिनका पालन करके वे गन्ने की फसल से संबंधित समस्याओं को नियंत्रित कर सकते हैं

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फसल का निरीक्षण

  • सबसे पहले खेतों की जाँच करें और पहचानें कि फसल पीली पड़ने का वास्तविक कारण क्या है।

कीट नियंत्रण

उकठा रोग

  • फ्यूजेरियम सैचरोई बीमारी से बचाव के लिए, प्रणालीगत फफूंदनाशक का छिड़काव करें, जैसे:
  • थायोफैनेट मिथाइल 70 डब्ल्यूपी: 1.3 ग्राम प्रति लीटर पानी में।
  • कार्बेन्डाजिम 50 डब्ल्यूपी: 2 ग्राम प्रति लीटर पानी में।

जड़ छेदक कीट

  • फिप्रोनिल 0.3 जी 10-12 किग्रा प्रति एकड़ या क्लोपायरीफास 50 ईसी एक लीटर दवा का उपयोग करें।
  • इमिडाक्लोप्रिड 17.8 एसएल 200 मिली दवा प्रति एकड़।

मिलीबग

  • इमिडाक्लोप्रिड 17.8 एसएल 200 मिली या मोनोक्रोटोफॉस 36 एसएल 750 मिली का उपयोग करें।

सिंचाई और पोषण

कीट नियंत्रण के बाद सिंचाई करें और ट्राइकोडर्मा का उपयोग करें। ट्राइकोडर्मा का 4 किग्रा प्रति एकड़ गन्ने की जड़ों के पास मिलाएं।

ध्यान रखने योग्य बातें

  • मिट्टी में लाभदायक सूक्ष्मजीवों की सक्रियता बनाए रखने के लिए ब्लीचिंग पाउडर का प्रयोग न करें।
  • अनावश्यक नाइट्रोजन युक्त उर्वरकों का प्रयोग न करें।
  • स्वस्थ नर्सरी से स्वस्थ गन्ना बीज का ही प्रयोग करें।
  • बुवाई से पहले बीज को किसी प्रणालीगत कवकनाशी के घोल में डुबोकर उपचारित करें।

इन निवारक उपायों का पालन करके गन्ने की फसल में होने वाली समस्याओं को रोका जा सकता है और उपज में सुधार किया जा सकता है। यदि किसान इन सुझावों का पालन करेंगे, तो गन्ने की फसल की गुणवत्ता और उत्पादन दोनों में वृद्धि होगी।

किसानों को सलाह दी जाती है कि वे अपने फसल का नियमित निरीक्षण करें और समय पर समाधान खोजें। किसी भी प्रकार की समस्या या सवाल के लिए गन्ना विभाग से संपर्क करें।

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